धरोहर हरियाणा संग्रहालय कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र

धरोहर हरियाणा संग्रहालय कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र

धरोहर संग्रहालय, कुरुक्षेत्र, भारतीय इतिहास, संस्कृति और सभ्यता का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह संग्रहालय न केवल प्राचीन धरोहरों का संरक्षण करता है, बल्कि हमारे समृद्ध अतीत के अध्ययन और अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच भी प्रदान करता है। इस संग्रहालय की स्थापना, इसमें संग्रहित वस्तुएँ, उनके ऐतिहासिक महत्व, और संग्रहालय के द्वारा की जा रही शैक्षिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ इस विस्तृत लेख का मुख्य फोकस होंगी। धरोहर का हिंदी में मतलब विरासत होता है। अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में, यह संग्रहालय हरियाणा की अतुलनीय सांस्कृतिक, स्थापत्य और पुरातात्विक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर के अंदर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित किया गया था। 

संग्रहालय की स्थापना और इतिहास

स्थापना का उद्देश्य

धरोहर संग्रहालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति और इतिहास की धरोहरों को सुरक्षित रखना और उन्हें प्रदर्शित करना था। यह संग्रहालय एक महत्वपूर्ण शैक्षिक केंद्र के रूप में कार्य करता है, जहाँ छात्र और शोधकर्ता भारतीय इतिहास और संस्कृति का गहन अध्ययन कर सकते हैं।

संग्रहालय का इतिहास

धरोहर हरियाणा संग्रहालय का पहला चरण 28 अप्रैल 2006 को स्थापित किया गया था और इसका दूसरा चरण 6 अप्रैल 2013 को स्थापित किया गया था। धरोहर हरियाणा संग्रहालय में हरियाणवी संस्कृति से संबंधित हजारों कलाकृतियाँ पचास (50) खंडों में प्रदर्शित हैं। संग्रहालय का मुख्य उद्देश्य हरियाणा राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना और इसे जनता के लिए सुलभ बनाना था।

संग्रहालय की संरचना

संग्रहालय की इमारत पारंपरिक भारतीय वास्तुकला के अनुसार बनाई गई है, जो दर्शकों को प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला की एक झलक देती है। संग्रहालय के भीतर कई दीर्घाएँ हैं, जहाँ विभिन्न युगों और संस्कृतियों की धरोहरों का संग्रह किया गया है।

मुद्राएँ और सिक्के

संग्रहालय में विभिन्न युगों के सिक्कों का संग्रह भी देखा जा सकता है। इनमें मौर्य, गुप्त, कुषाण और मुगल काल के सिक्के शामिल हैं। इन सिक्कों के माध्यम से हम उस समय की आर्थिक स्थिति और व्यापारिक गतिविधियों का अध्ययन कर सकते हैं।

हस्तलिपियाँ और पांडुलिपियाँ

संग्रहालय में विभिन्न भाषाओं में लिखी गई प्राचीन हस्तलिपियाँ और पांडुलिपियाँ भी संग्रहित हैं। इनमें संस्कृत, प्राकृत, पालि और फारसी भाषाओं की पांडुलिपियाँ शामिल हैं। इन पांडुलिपियों में धार्मिक ग्रंथों के साथ-साथ वैज्ञानिक और साहित्यिक रचनाएँ भी शामिल हैं।

वस्त्र और आभूषण

संग्रहालय में प्राचीन वस्त्र और आभूषणों का भी संग्रह है। इनमें विभिन्न कालों के वस्त्रों की बुनाई और डिजाइन का अध्ययन किया जा सकता है। साथ ही, आभूषणों की बनावट और उनके उपयोग से उस समय के फैशन और सौंदर्य की जानकारी मिलती है।

हथियार और उपकरण

संग्रहालय में विभिन्न युगों के हथियार और उपकरण भी प्रदर्शित किए गए हैं। इनमें तीर, तलवार, ढाल, भाले और अन्य हथियार शामिल हैं। इन हथियारों के माध्यम से हम उस समय की युद्धकला और सुरक्षा प्रबंधों का अध्ययन कर सकते हैं।

हरियाणवी गांव का दृश्य

यह वास्तव में एक आगंतुक को अपने डियोरामा और अन्य प्रदर्शनों के माध्यम से एक ठेठ हरियाणवी गांव का एहसास कराता है कि कोई वहां कुछ दिनों के लिए रहना चाहेगा। इसकी दीर्घाओं में से एक बड़ी खुली मिट्टी की रसोई है जिसमें पीतल से बने कंटेनर, प्लेट और गिलास, दही और पानी रखने के लिए मिट्टी के बर्तन, अचार के लिए बेलनाकार चीनी मिट्टी के बर्तन, चपातियों के लिए बेंत की टोकरियाँ,  मिट्टी के तेल की लालटेन और पारंपरिक चूल्हे पर खाना बनाती एक महिला है।

ईंधन के रूप में गाय के गोबर के उपले। अन्य दीर्घाओं में, हरियाणवी पोशाक और गहने, हस्तशिल्प, खिलौने, पीतल और तांबे से बने भंडारण कंटेनर, खेती के उपकरण, लकड़ी की गाड़ियां और संगीत वाद्ययंत्र, कुछ नाम प्रदर्शित किए गए हैं। एक गैलरी भारतीय सेना को समर्पित है और शहीदों की तस्वीरें प्रदर्शित करती है। संग्रहालय के अंत में, एक सुंदर रूप से निर्मित गांव है जहां कोई भी डियोरामा के साथ फोटो खिंचवाने से खुद को रोक नहीं सकता है। बीच में एक गहरा कुआँ है जहाँ गाँव की महिलाएँ पानी भरती हैं और सिर पर घड़े रखकर चलती हैं।

पीपल के पेड़ के नीचे लकड़ी का संगीत वाद्ययंत्र बजाता एक आदमी एक ऐसा दृश्य है जो आज के आधुनिक समय में दुर्लभ है। दर्जी, नाई, मोची, लोहार, कुम्हार, बुनकर, चूड़ी बेचने वालों की दुकानें और यज्ञ जैसे पवित्र हिंदू समारोहों का भी प्रदर्शन किया जाता है। यह खूबसूरत संग्रहालय प्रत्येक आगंतुक को अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिए कुछ न कुछ प्रेरणा देता है।

संग्रहालय के ऐतिहासिक महत्व

सांस्कृतिक संरक्षण

धरोहर संग्रहालय भारतीय संस्कृति के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ संग्रहित वस्तुएँ हमारे समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की याद दिलाती हैं और हमें हमारे पूर्वजों की जीवन शैली और परंपराओं के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं।

शैक्षिक महत्व

संग्रहालय छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण शैक्षिक केंद्र है। यहाँ संग्रहित वस्तुओं के माध्यम से वे भारतीय इतिहास, कला और संस्कृति का गहन अध्ययन कर सकते हैं। संग्रहालय के द्वारा आयोजित की जाने वाली कार्यशालाएँ और संगोष्ठियाँ भी शैक्षिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।

पर्यटन स्थल

धरोहर संग्रहालय एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी है। यह पर्यटकों को भारतीय इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी प्रदान करता है और उन्हें प्राचीन धरोहरों की एक झलक दिखाता है। संग्रहालय में प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक आते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होता है।

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संग्रहालय की गतिविधियाँ

प्रदर्शनी

धरोहर संग्रहालय नियमित रूप से विभिन्न प्रदर्शनियों का आयोजन करता है। इन प्रदर्शनियों में विभिन्न युगों की धरोहरों को प्रदर्शित किया जाता है और उन्हें दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया जाता है।

कार्यशालाएँ

संग्रहालय विभिन्न कार्यशालाओं का भी आयोजन करता है, जिनमें छात्रों और शोधकर्ताओं को प्राचीन धरोहरों के संरक्षण और अध्ययन के बारे में जानकारी दी जाती है।

संगोष्ठियाँ

संग्रहालय नियमित रूप से संगोष्ठियों का भी आयोजन करता है, जिनमें विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिए जाते हैं। इन संगोष्ठियों में भारतीय इतिहास, कला और संस्कृति से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाती है।

शोध और प्रकाशन

धरोहर संग्रहालय एक महत्वपूर्ण शोध केंद्र के रूप में भी कार्य करता है। यहाँ विभिन्न विषयों पर शोध किए जाते हैं और उनके परिणामों को प्रकाशित किया जाता है।

संग्रहालय का प्रभाव

सांस्कृतिक जागरूकता

धरोहर संग्रहालय ने भारतीय संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस संग्रहालय ने जनता के बीच सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा दिया है और उन्हें उनके सांस्कृतिक धरोहरों के महत्व के बारे में जानकारी प्रदान की है।

शैक्षिक सुधार

संग्रहालय ने शैक्षिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यहाँ आयोजित की जाने वाली कार्यशालाएँ और संगोष्ठियाँ छात्रों और शोधकर्ताओं को प्राचीन धरोहरों के संरक्षण और अध्ययन के लिए प्रेरित करती हैं।

पर्यटन का विकास

धरोहर संग्रहालय ने कुरुक्षेत्र में पर्यटन के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संग्रहालय में प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक आते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होता है।

धरोहर संग्रहालय, कुरुक्षेत्र भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह संग्रहालय न केवल प्राचीन धरोहरों का संरक्षण करता है, बल्कि उन्हें प्रदर्शित भी करता है। संग्रहालय ने भारतीय संस्कृति के संरक्षण, शैक्षिक सुधार और पर्यटन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह संग्रहालय आने वाली पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर है, जो उन्हें हमारे समृद्ध अतीत के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

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